
यह स्वयंभू शिवलिंग हैं. पौराणिक मान्यता है कि इसमें निर्गुण, निराकार ब्रह्म भगवान शिव स्वयं प्रतिष्ठित हैं. नर्मदेश्वर लिंग शालग्रामशिला की तरह स्वप्रतिष्ठित माने जाते हैं जो नर्मदा नदी से निकले कंकड़ (पत्थर) को तराशकर शिवलिंग बनाता है. यें शिवलिंग बिना प्राण प्रतिष्ठा के भी स्थापित किए जा सकते है. शास्त्रों के अनुसार नर्मदा नदी को वरदान प्राप्त है, नदी का कंकड़-कंकड़ शंकर कहलाएगा. होलकर शासन में अहिल्या बाई होलकर के समय से ही नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा होती रही है
नर्मदेश्वर शिवलिंग की महिमासावन के इस पवित्र महीने में किसी भी दिन पूजा करने से सौ गुना पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके पूजन से बिगड़ी तकदीर संवर जाती है। जो भी उपासक या शिवभक्त नर्मदेश्वर शिवलिंग को पूजता है, उन्हें शिव भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
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Aug 12, 2024
हम एक हिंदू हैं जो भगवान राम और विष्णु देव के अनुयायियों में विश्वास करते हैं और हम एक हिंदू हैं जो भगवान राम और विष्णु देव में विश्वास करते हैं। यहीं से आपको शुरुआत करनी चाहिए, मंदिर वह स्थान है जहां हिंदू पूजा करते हैं, संभ्रांत अभिजात वर्ग, सेड करते हैं
Read Moreकॉपीराइट 2023 शिव सेवा समिति। सर्वाधिकार सुरक्षित।